October 13, 2024

A Krait Ordeal

 A Krait Ordeal

It crawled up to me

And I saw, pulled myself up, gradually shied

The plastic chair too feared and quivered

It coiled then positioned itself.

I ran to ring Ravi the night guard

Then to Deepak, then to whom I know not

It wriggled to under the bed, over the potatoes to take the wall.

Manhunt began, but to no avail

They ordered me to block all creeks and sleep

Half an hour passed.

It was seen again to hide swiftly under the brick block.

The night guard all troubled left no brick unturned during this raid.

There it was - all curled up!

It wanted to rest in peace as it was late midnight

Now it is gone and I pray they never come into anybody's.

By

Purshottam Awasthi

January 25, 2024

Class 12 English Important Sentences for CBSE 2024

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https://drive.google.com/file/d/1gAv08jSzKLdepp0Z7G3r5ZmeyKOuvoog/view?usp=sharing 

March 29, 2022

 परीक्षा पे चर्चा होगी, डर ख़त्म होगा......

सदियों से यह रीति चली आई है कि हर व्यक्ति को जीवन के अनेक पड़ावों में किसी ना किसी परीक्षा या कोई ना कोई प्रतिकूल परिस्थितियों का सामना कर उनसे सफलतापूर्वक एवं बहादुरी से सामना कर अपने आप को खरा सोना साबित करना होता है| पूरे वर्ष भर के अकादमिक कार्यक्रम के उपरांत छात्र - छात्राओं से भी एक ऐसी ही उम्मीद लगाई जाती है और जो संघर्षशील परिस्थितियां उनके सामने पैदा होती हैं, उनमें से एक है उनका इम्तिहान या उनकी वार्षिक परीक्षा| यह वह समय होता है जिसमें छात्र अपने आप को कसता है, देखता और दिखाता है कि वह कैसे रंग-बिरंगे पंखों को लगाकर नई-नई उड़ान पर बढ़ता जा रहा है| साल भर की पढ़ाई, छात्र द्वारा पढ़ाई में मेहनत, उसके गुरुजनों द्वारा ध्यान दिए जाने के लिए अपनाई गई विभिन्न शिक्षा अधिगम पद्धतियों इत्यादि का पूर्ण परीक्षण होता है और इसे ही नाम परीक्षा दिया जाता है|

आज की व्यवस्था में विद्यार्थी को जहां प्रत्येक वर्ष एक वार्षिक परीक्षा देनी होती है वहीँ कक्षा दशम एवं द्वादश की पढ़ाई के उपरांत उसे बोर्ड परीक्षा में सम्मिलित होना पड़ता है और यह बोर्ड परीक्षा राज्य स्तरीय या राष्ट्र स्तरीय होती है| अतः इन परीक्षाओं का एक विशेष हौवा छात्र के मन में घर कर जाता है और उसे लगता है कि यह परीक्षा कुछ अलग मुश्किलों से भरी और अत्यंत स्पर्धापरक परीक्षा है जिसे वह इतनी आसानी से पास नहीं कर पाएगा, जितनी आसानी से वह अब तक करते आया है| इन्हीं कुछ आशंकाओं से घिरा हुआ छात्र इन बोर्ड परीक्षाओं को एक अलग ढंग से देखता है या उसे दिखाया जाता है और परिणाम स्वरूप छात्र में परीक्षा को लेकर कदाचित संशय, डर जैसा माहौल उसके लिए तैयार हो जाता है| परिणाम स्वरूप, वह परीक्षा में सम्मिलित तो होता है लेकिन अपने मन में घर की हुई आशंकाओं से बाहर निकल नहीं पाता और उसी में फस कर रह जाता है| यह तो पक्का है कि छात्र का परिणाम उत्साहवर्धक तो नहीं पाता और बदले में वह डिप्रेशन आदि मानसिक अवसाद से ग्रस्त जरूर हो जाता है| इस बात को नकारा नहीं जा सकता की ऐसी परिस्थितियों में कई छात्र कुछ गलत कदम भी उठा लेते हैं जोकि ना तो सहासिक और ना ही सामाजिक कहलाते हैं| तो इसका हल क्या है? इस समस्या से निजात कैसे मिलेगी? ऐसा क्या होना चाहिए जिससे प्रथम स्तर पर छात्र-छात्राओं के मन में परीक्षा को लेकर किसी प्रकार का संशय इत्यादि घर ही ना कर पाए! हम सब इस विषय को लेकर काफी चिंता में रहते हैं और इसका एक सटीक विश्लेषण उपरांत उपचार खोजा गया माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी द्वारा|

बच्चों! मुझे उम्मीद है कि आपने यह जरूर सुना होगा की श्री नरेंद्र मोदी जी बच्चों के भविष्य को लेकर सदैव चिंतित रहते हैं| उन्होंने उन बच्चों के मन से परीक्षा के भय को खत्म करने के लिए व्यक्तिगत तौर पर ऐसे प्रयास किए हैं जिसने काफी उत्साहवर्धक परिणाम विगत वर्षों में हमारे सामने प्रस्तुत किए हैं! और यह सब खोखली बातें नहीं बल्कि आंकड़ों पर आधारित हैं| नरेंद्र मोदी जी का पसंदीदा कार्यक्रमपरीक्षा पर चर्चाकी बात कर रहा हूँ|

प्रत्येक वर्ष बोर्ड परीक्षा शुरू होने के पहले, उस समय जब सभी छात्र अपनी परीक्षाओं की तैयारी में पूरे तन मन से जुड़े हुए होते हैं और ऐसा लगता है की यह परीक्षा उनके जीवन की अंतिम परीक्षा है, ऐसी तैयारी में, “परीक्षा पे चर्चाकार्यक्रम दूरदर्शन के सभी चैनलों पर, शिक्षा मंत्रालय की आधिकारिक वेबसाइट पर, टि्वटर आदि सोशल मीडिया पर एवं शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार के चैनल स्वयंप्रभा पर सीधा प्रसारण किया जाता है जिसमें माननीय श्री नरेंद्र मोदी जी चयनित बच्चों एवं शिक्षकों से देश की राजधानी में एकत्र होकर सीधा संवाद करते हैं और छात्रों, शिक्षकों, अभिभावकों एवं अन्य स्टेकहोल्डर का उत्साहवर्धन करते है|

इस वर्ष यह कार्यक्रम 1 अप्रैल 2022 को प्रातः 11:00 तालकटोरा स्टेडियम, नई दिल्ली से प्रसारित होगा, जिसका लाभ देश के कोने-कोने में इन परीक्षाओं में सम्मिलित होने वाले छात्र-छात्राएं, उनके शिक्षक और उनके अभिभावकगण लाभान्वित हो सकेंगे| इस कार्यक्रम की सबसे खास बात यह है कि पूरा कार्यक्रम एक संवाद के रूप में बनाया जाता है, जिसमें छात्र अपने सवालों एवं अपनी शंकाओं को दूर करने के लिए श्री नरेंद्र मोदी जी से सीधे प्रश्न करते हैं और जवाब में उन्हें बड़ी ही सहज सरल भाषा में उसका उत्तर समाधान इत्यादि कई उदाहरणों के साथ या उनके जीवन में घटित किसी घटना के विवरण के साथ बच्चों को मिलता है, जिससे बच्चों के मन के संशय इत्यादि तुरंत काफूर हो जाते हैं और जो बच्चे पूछ नहीं पाते वह उनके उत्तरों को सुनकर प्रेरणा पाते हैं जिससे उन्हें आगामी परीक्षा में बैठने, परीक्षा प्रश्न पत्र को हल करने में आंतरिक बल मिलता है साथ ही उनका डर समाप्त होता है| बच्चे यह बात समझ जाते हैं की परीक्षा तो है, उसे पास भी करना है परंतु सभी को अपने अपने मानसिक स्तर तक ही इसको पास करना है ना कि मात्र दिखावे के लिए| यहां यह बताना मैं जरूरी समझता हूं कि आजकल भविष्य मैं किसी यूनिवर्सिटी या कॉलेज मैं दाखिला लेने के लिए एक छात्र को उसके दसवीं या बारहवीं कक्षा में प्राप्तांक का उतना महत्व नहीं है जितना महत्व उस यूनिवर्सिटी या कॉलेज के द्वारा कराई जाने वाली विशेष नामांकन परीक्षा का है| अतः सभी छात्रों को बोर्ड परीक्षाओं का तनाव ना लेते हुए, भय ना खाते हुए इन परीक्षाओं की तैयारी करनी है और तैयारी ऐसी होनी चाहिए जिससे वे सिर्फ ना तो उस बोर्ड एग्जाम को बल्कि भविष्य में आने वाले प्रत्येक एग्जाम को और जीवन की परीक्षा को सफलतापूर्वक पास कर एक सफल इंसान बन सके| “परीक्षा पर चर्चाकार्यक्रम का यही मूल मंत्र है और मैं आवाहन करता हूं पाठकों से कि वह आगामी कार्यक्रम का समय और तिथि अपने मोबाइल के कैलेंडर में सेट कर लें और निश्चित रूप से इस कार्यक्रम में श्रोता बनकर भाग लें साथ ही जितना हो सके अपने आसपास के लोगों को भी इस संबंध में बताएं, चर्चा करें और ऐसे छात्र जो परीक्षा में सम्मिलित होने जा रहे हैं उन्हें इस कार्यक्रम को देखने के लिए प्रेरित करें|

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